ध्यान में बैठे हुए किसी हठी योगी सा है प्रेम। ध्यान में बैठे हुए किसी हठी योगी सा है प्रेम।
मेरी छाती पर उड़ेल कर कुछ तो रहम कर मुझ पर। मेरी छाती पर उड़ेल कर कुछ तो रहम कर मुझ पर।
सांस लेना ही भूल गयी खुली हवा में जैसे साँस भी स्वीकृति चाहती है किसी की जबकि उन्मुक्तता कितनी लुभ... सांस लेना ही भूल गयी खुली हवा में जैसे साँस भी स्वीकृति चाहती है किसी की जबकि ...
अगर हवा गंदी होगी तो , साँसों का संकट होगा । पेड कटेंगे तो आबादी, से ज्यादा मरघट होगा।। ... अगर हवा गंदी होगी तो , साँसों का संकट होगा । पेड कटेंगे तो आबादी, से ज्...
भावों का सुंदर सा भरा पिटारा, कैसे लिखोगे ? एहसास सारा। भावों का सुंदर सा भरा पिटारा, कैसे लिखोगे ? एहसास सारा।
झरने से गिरते जल जैसी, खल खल खल खलकारी है झरने से गिरते जल जैसी, खल खल खल खलकारी है